Monthly Archives: December 2019

एक संजीदा मामला!

कुछ लोग बेफिक्र होने का मज़ा ले पाते हैं क्योंकि कोई उनके हिस्से की संजीदगी ढो रहा है.   …………. बड़ा अजीब क़िस्सा है ज़िंदगी का – उलझा हुआ सा, और थोड़ा ज़ालिमाना भी! जो बेपरवाह है उसे लापरवाह होने की … Continue reading

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बीच का बन्दर!

हम बीच में हैं ना…इसीलिए हमेशा पिसते रहते हैं! …………. वो जो हमसे नीचे हैं उनके पास इतना है ही नहीं कि खोने का डर हो, और वो जो हमसे ऊपर हैं उनके पास पाया हुआ इतना है कि कोई … Continue reading

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नए साल का अहद

इस बार न कोई वादा कीजिये, न इरादा कीजिये, बस जो करना चाहते हैं उसे ‘और ज़्यादा’ कीजिये. …………. दूसरे लफ़्ज़ों में कहूं तो इंसान अपने यक़ीन से नहीं अपनी आदतों से जीता है. इसीलिए इंसान को मंसूबे नहीं आदतें … Continue reading

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आपने ज़िंदगी को जिया ना?

ज़िंदगी में सिर्फ ये अहम नहीं है कि आप ने ज़िंदगी से क्या लिया और उसे क्या दिया, बल्कि ये भी अहम है कि आपने ज़िंदगी को कितना ‘जिया’. ………….. आपने बादलों के आकार देखे कि नहीं! आपने सितारों के … Continue reading

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जड़ों के और नज़दीक

अब तो जो क़ायम रहेगा वही कामयाब रहेगा. ………….. बड़ा ही अजब दौर है ये – बेचैन…लगातार बदलता हुआ…हमेशा खुद से दौड़ लगाता हुआ. रोज़ नए ख़याल… नए सवाल… नए ईजाद… नई आमद. और रफ़्तार ऐसी कि कुछ नया पूरा … Continue reading

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नाज़ुक रिश्ता

एक नाज़ुक रिश्ता संभालने के लिए दो मज़बूत लोग चाहिए. ………….. लोग अक्सर रिश्ते को बना तो लेते हैं पर निभा नहीं पाते. खैर उनकी भी गलती नहीं होती, क्योंकि रिश्ते को बनाने और निभाने के लिए बिलकुल अलग तरह … Continue reading

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साझा सच

इंसान के अंदर के लावे को सिर्फ बुलावे का इंतज़ार रहता है. ………….. तमीज़ और तहज़ीब से बंधी दुनिया में लोग बेहतर तो नहीं हुए लेकिन बेहतर होने की अदाकारी ज़रूर सीख गए. अच्छा बोलने और अच्छा दिखने की बाक़ायदा … Continue reading

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दरख़्तों की तरह

ज़िंदगी में बदलाव होंगे ही, इसलिए… ख़ुद में ठहराव लाइए. ………….. हमारा अपनी ज़िंदगी पर काबू दरअसल एक छलावा है. अपने आपको एक दायरे में रख कर, उसमें कुछ क़ायदे बुन कर, और आस पास एक मुंडेर बना कर हमें … Continue reading

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The invisible cloak!

Sometimes irritating people pass off as stylish just because they have success on their side.     ………. Success has an amazing way of changing people’s perceptions. It acts almost like a ‘seal of approval’ acknowledged universally. With its stamp on … Continue reading

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माज़ी और मैं

कभी कभी एक शख़्स के ज़रिये एक पूरा ज़माना याद आ जाता है. …………. ज़िंदगी का बहाव इतना ताक़तवर होता है कि आप जिस दौर में होते हैं अपने वजूद को उसी से जोड़ कर देखने लगते हैं. आज जैसे … Continue reading

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