Profile
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Dr. Sandeep Atre is a Counseling Psychologist (dratrecounsels.com) and an internationally recognized ‘Emotional & Social Intelligence’ Expert and Trainer.He is the Founder of Socialigence – a venture specializing in development of ‘Social & Emotional Intelligence’ through its e-learning course rooted in neuroscience & psychology (socialigence.net). He is also Co-Founder of CH EdgeMakers – a leading coaching group of Central India (ch-india.com).
He is author of two books related to his domain, namely – “Understanding Emotions Logically” and “Observing Nonverbal Behavior”; and third book on various aspects of life, named “Two Paras of Everyday Wisdom”. Moreover, the collection of his Nazms and Ghazals is published as a book titled “Baat Jazbaat Ki”.
In his career of more than two decades, he has trained professionals of more than 50 companies and thousands of individuals to ‘sort out’ and ‘excel in’ intrapersonal and interpersonal matters.
You can mail your responses to his blogs at: drsandeepatre@gmail.com
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Category Archives: An Entrepreneur’s Journey
The invisible cloak!
Sometimes irritating people pass off as stylish just because they have success on their side. ………. Success has an amazing way of changing people’s perceptions. It acts almost like a ‘seal of approval’ acknowledged universally. With its stamp on … Continue reading
माज़ी और मैं
कभी कभी एक शख़्स के ज़रिये एक पूरा ज़माना याद आ जाता है. …………. ज़िंदगी का बहाव इतना ताक़तवर होता है कि आप जिस दौर में होते हैं अपने वजूद को उसी से जोड़ कर देखने लगते हैं. आज जैसे … Continue reading
पैसा और क़िरदार
इंसान पैसे से सामान ख़रीद सकता है सलीक़ा नहीं. …………. देखा जाए तो पैसा मेहनत और बरक़त से ले कर कमीनेपन और वसीयत तक के कई तरीकों से एक शख़्स के पास आ सकता है. और पैसा हमेशा लायक़ी या … Continue reading
सच कड़वा नहीं होता है
“सच कड़वा होता है” – ज़रूर ये बात किसी सच्चे आदमी ने नहीं, किसी कड़वे आदमी ने कही होगी. …………….. दरअसल सच न कड़वा होता है और ना मीठा. सच सिर्फ…’सच्चा’ होता है. वो तो लोग उसे जिस तरह कहते … Continue reading
आप इंसान हैं आख़िर
कभी कभी चीज़ें ग़लत हो जाती हैं. खुद को इल्ज़ाम देना बंद कीजिये. …………… हर काम में कई पहलू एक साथ आते हैं. सब पर ना तो आपका काबू हो सकता है और ना ही आपकी समझ. ऐसे में कभी … Continue reading
काम का रियाज़
आप जो भी काम करते हों, रोज़ उसका रियाज़ ज़रूर किया करें. …………… रियाज़ से मेरा मतलब है अपने काम पर काम करना – उसे एक ‘ठोस सतह देने के लिए’ और ‘नए आयाम देने के लिए’. जी हां! ये … Continue reading
हौसला और सवाल
अगर आपका हौसला चंद सवालों से टूट जाता है तो दरअसल वो…हौसला था ही नहीं. …………. अच्छे लोगों को अपनी नाज़ुक-मिज़ाजी को अपनी कमज़ोरी नहीं बनने देना चाहिए. भला इतनी भी क्या नज़ाक़त कि किसी ने थोड़ा पूछ लिया…थोड़ा छान … Continue reading
‘ख़्वाब’ की शक्ल
जब आखों में ख़्वाब हों तो अक्सर नज़र कमज़ोर हो जाया करती है. …………. जब कोई चीज़, शख्स या मक़सद ‘ख़्वाब’ की शक्ल ले ले तो हमारा नज़रिया पूरी तरह बदल जाता है. आखिर ख़्वाब की कशिश ही निराली होती … Continue reading
बाद की बेहतरी
अगर आज मुश्किल फैसले ले लिए जाएं तो कल के मुश्किल हालात टाले जा सकते हैं. ………… अधिकतर लोग ‘बाद की बेहतरी’ के बजाए ‘आज की आसानी’ चुनते हैं, और फिर ये उम्मीद करते हैं कि आने वाला कल बढ़िया … Continue reading
Gratefully yours!
In life, never forget those who stood by you when it mattered. ………. Some people don’t hug you tight or wish you bright. They don’t meet you often or call you even. They don’t give you gifts or accompany … Continue reading