Category Archives: An Entrepreneur’s Journey

ज़ब्त जज़्बात

आजकल के घरों में तकरार की जगह एक तल्ख़ सी खामोशी पसरी रहती है.  ………… अब लोग पढ़े लिखे हैं, घरों पर सलीक़े से पेश आते हैं. इसलिए अब वो लड़ना झगड़ना जहालत समझते हैं. अब वो घूर कर नहीं … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

काम की नाक़ामियां!

अपनी नाक़ामियां खंगालिए, आपको अपनी ख़ामियां मिलेंगी. ………… अब इन ख़ामियों को मेज़ पर तरतीब से जमाइए. फिर दराज़ में से कलम और एक कागज़ निकालिए. अब दोनों कोहनियों को मेज़ पर रख, ठोड़ी अपनी हथेलियों पर टिका कर उन … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

एक संजीदा मामला!

कुछ लोग बेफिक्र होने का मज़ा ले पाते हैं क्योंकि कोई उनके हिस्से की संजीदगी ढो रहा है.   …………. बड़ा अजीब क़िस्सा है ज़िंदगी का – उलझा हुआ सा, और थोड़ा ज़ालिमाना भी! जो बेपरवाह है उसे लापरवाह होने की … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

बीच का बन्दर!

हम बीच में हैं ना…इसीलिए हमेशा पिसते रहते हैं! …………. वो जो हमसे नीचे हैं उनके पास इतना है ही नहीं कि खोने का डर हो, और वो जो हमसे ऊपर हैं उनके पास पाया हुआ इतना है कि कोई … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

नए साल का अहद

इस बार न कोई वादा कीजिये, न इरादा कीजिये, बस जो करना चाहते हैं उसे ‘और ज़्यादा’ कीजिये. …………. दूसरे लफ़्ज़ों में कहूं तो इंसान अपने यक़ीन से नहीं अपनी आदतों से जीता है. इसीलिए इंसान को मंसूबे नहीं आदतें … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

आपने ज़िंदगी को जिया ना?

ज़िंदगी में सिर्फ ये अहम नहीं है कि आप ने ज़िंदगी से क्या लिया और उसे क्या दिया, बल्कि ये भी अहम है कि आपने ज़िंदगी को कितना ‘जिया’. ………….. आपने बादलों के आकार देखे कि नहीं! आपने सितारों के … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

जड़ों के और नज़दीक

अब तो जो क़ायम रहेगा वही कामयाब रहेगा. ………….. बड़ा ही अजब दौर है ये – बेचैन…लगातार बदलता हुआ…हमेशा खुद से दौड़ लगाता हुआ. रोज़ नए ख़याल… नए सवाल… नए ईजाद… नई आमद. और रफ़्तार ऐसी कि कुछ नया पूरा … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

नाज़ुक रिश्ता

एक नाज़ुक रिश्ता संभालने के लिए दो मज़बूत लोग चाहिए. ………….. लोग अक्सर रिश्ते को बना तो लेते हैं पर निभा नहीं पाते. खैर उनकी भी गलती नहीं होती, क्योंकि रिश्ते को बनाने और निभाने के लिए बिलकुल अलग तरह … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

साझा सच

इंसान के अंदर के लावे को सिर्फ बुलावे का इंतज़ार रहता है. ………….. तमीज़ और तहज़ीब से बंधी दुनिया में लोग बेहतर तो नहीं हुए लेकिन बेहतर होने की अदाकारी ज़रूर सीख गए. अच्छा बोलने और अच्छा दिखने की बाक़ायदा … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment

दरख़्तों की तरह

ज़िंदगी में बदलाव होंगे ही, इसलिए… ख़ुद में ठहराव लाइए. ………….. हमारा अपनी ज़िंदगी पर काबू दरअसल एक छलावा है. अपने आपको एक दायरे में रख कर, उसमें कुछ क़ायदे बुन कर, और आस पास एक मुंडेर बना कर हमें … Continue reading

Posted in A Person's Musings, A Trainer's Diary, An Entrepreneur's Journey | Leave a comment