Category Archives: An Entrepreneur’s Journey

The Plot!

If you don’t know someone’s story, don’t judge their character. ………………… People become what they become through an assembly line of coincidences and experiences. Yes, their choices do play an intervening role yet there is still a lot that is … Continue reading

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इस्तेमाल!

अपनी बनिया-बुद्धि चीज़ों के साथ लगाइए, लोगों के साथ नहीं.     …………. कुछ लोग आपसे मिलते ही सोचने लगते हैं कि आपका इस्तेमाल कैसे करें. वो पहले लम्हे से आपको किसी खांचे में डालने या ढालने की ज़हनी उधेड़बुन और उठापटक … Continue reading

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ज़िंदगी!

ज़िंदगी को किसी एक नज़रिये से देखना ज़िंदगी की तरफ नाइंसाफ़ी है.   …………. ज़िंदगी सबके लिए अलग है – किसी के लिए सतत चलने वाला संघर्ष, किसी के लिए ना रुकने वाला जशन, किसी के लिए कुछ बड़ा बनाने का … Continue reading

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जज़्बात बहुत ख़ास होते हैं

इतना भी जज़्बाती नहीं होना चाहिए कि जज़्बात से ही चिढ़ हो जाए.   …………. कुछ लोग हर बात में जज़्बात ले आते हैं. वहां भी जहां जज़्बात की न ज़रुरत होती है न जगह. पता नहीं किस अहमक ने उन्हें … Continue reading

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कुछ जुर्म सा

मुड़ के देखो तो हर ‘अपने’ की तरफ आपका कुछ जुर्म सा निकलता है. …………. और अजीब बात ये है कि वो जो गिनाते रहे अक्सर वो आपको अपना जुर्म नहीं लगता. आपका जुर्म तो सिर्फ आपको पता होता है. … Continue reading

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Failing twice!

Most of us fail twice – first when we fail, and then when we fail to utilize failure. ………………… Failure can have immense utility, but most of us are so bogged down by the futility surrounding it that we simply … Continue reading

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ये क्या पहेली है भला!

कभी कभी आपको किसी से शिकायत नहीं होती पर आप सबसे ख़फ़ा होते हैं. …………. कई बार पता ही नहीं चलता कि जो अभी महसूस हो रहा है उसकी वजह क्या है या कौन है. और ‘क्यों’ का तो छोड़िये … Continue reading

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दो बातें!

ज़िंदगी में सेहत और सोहबत का ख़याल रखिये. बाकी सब आगे पीछे आ जाएगा. …………. सेहत की कोई भी जिद्द-ओ-जहद बड़ी ही तनहा और बेचारगी से भरी होती है. दरअसल आपको अचानक से अपने फ़ानी होने का एहसास हो जाता … Continue reading

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जज़्बाती तौर पर मज़बूत!

ज़हनी काबिलियत जज़्बाती तौर पर मज़बूत हुए बिना किसी काम की नहीं. ………….. अब ये मत कहिएगा कि जज़्बाती लोगों का नाज़ुक-तबीयत होना तो एक तरह से तय है, क्योंकि मुझे ये पहले से पता है. पर खुद ही सोचिए … Continue reading

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दिमाग़ नीम-बेहोशी में!

इंसान के ख़्वाब उसके सच का एक हिस्सा बयां कर देते हैं. ………….. यहां मैं उन ख़्वाबों की बात नहीं कर रहा जो इंसान जागती आखों से तसव्वुर में बुनता है. मैं यहां उन ख़्वाबों की बात कर रहा हूँ … Continue reading

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