Profile
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Dr. Sandeep Atre is a Counseling Psychologist (dratrecounsels.com) and an internationally recognized ‘Emotional & Social Intelligence’ Expert and Trainer.He is the Founder of Socialigence – a venture specializing in development of ‘Social & Emotional Intelligence’ through its e-learning course rooted in neuroscience & psychology (socialigence.net). He is also Co-Founder of CH EdgeMakers – a leading coaching group of Central India (ch-india.com).
He is author of two books related to his domain, namely – “Understanding Emotions Logically” and “Observing Nonverbal Behavior”; and third book on various aspects of life, named “Two Paras of Everyday Wisdom”. Moreover, the collection of his Nazms and Ghazals is published as a book titled “Baat Jazbaat Ki”.
In his career of more than two decades, he has trained professionals of more than 50 companies and thousands of individuals to ‘sort out’ and ‘excel in’ intrapersonal and interpersonal matters.
You can mail your responses to his blogs at: drsandeepatre@gmail.com
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Monthly Archives: January 2020
असली खेल!
खेल बिसात के इस तरफ भी चल रहा है – खिलाफ नहीं, अंदर. …………. इस खेल में ज़्यादा पेंच हैं और बड़े पैंतरे – कुछ प्यादे हैं जो एक दिन राजा बनना चाहते हैं. वज़ीर राजा से क़ुरबत भी दिखाता … Continue reading
ख़ास होने की खुजाल
हर आम इंसान में ख़ास होने की अच्छी ख़ासी खुजाल होती है. …………. हरेक को शग़ल है औरों से कुछ अलग होने का, खुद को बेहतर साबित करने का, कुछ नया बनाने का, कुछ हट के करने का, आस पास … Continue reading
Settle it now.
At some point, you have to begin to look at your compromises as your choices. ………………… There are times when you have to comply with the call of the circumstance, and make a choice that otherwise you wouldn’t have made. … Continue reading
The Plot!
If you don’t know someone’s story, don’t judge their character. ………………… People become what they become through an assembly line of coincidences and experiences. Yes, their choices do play an intervening role yet there is still a lot that is … Continue reading
इस्तेमाल!
अपनी बनिया-बुद्धि चीज़ों के साथ लगाइए, लोगों के साथ नहीं. …………. कुछ लोग आपसे मिलते ही सोचने लगते हैं कि आपका इस्तेमाल कैसे करें. वो पहले लम्हे से आपको किसी खांचे में डालने या ढालने की ज़हनी उधेड़बुन और उठापटक … Continue reading
ज़िंदगी!
ज़िंदगी को किसी एक नज़रिये से देखना ज़िंदगी की तरफ नाइंसाफ़ी है. …………. ज़िंदगी सबके लिए अलग है – किसी के लिए सतत चलने वाला संघर्ष, किसी के लिए ना रुकने वाला जशन, किसी के लिए कुछ बड़ा बनाने का … Continue reading
जज़्बात बहुत ख़ास होते हैं
इतना भी जज़्बाती नहीं होना चाहिए कि जज़्बात से ही चिढ़ हो जाए. …………. कुछ लोग हर बात में जज़्बात ले आते हैं. वहां भी जहां जज़्बात की न ज़रुरत होती है न जगह. पता नहीं किस अहमक ने उन्हें … Continue reading
कुछ जुर्म सा
मुड़ के देखो तो हर ‘अपने’ की तरफ आपका कुछ जुर्म सा निकलता है. …………. और अजीब बात ये है कि वो जो गिनाते रहे अक्सर वो आपको अपना जुर्म नहीं लगता. आपका जुर्म तो सिर्फ आपको पता होता है. … Continue reading
Failing twice!
Most of us fail twice – first when we fail, and then when we fail to utilize failure. ………………… Failure can have immense utility, but most of us are so bogged down by the futility surrounding it that we simply … Continue reading
ये क्या पहेली है भला!
कभी कभी आपको किसी से शिकायत नहीं होती पर आप सबसे ख़फ़ा होते हैं. …………. कई बार पता ही नहीं चलता कि जो अभी महसूस हो रहा है उसकी वजह क्या है या कौन है. और ‘क्यों’ का तो छोड़िये … Continue reading